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देवभूमि उत्तराखंड में आस्था और विश्वास की रक्षा को लेकर मुख्यमंत्री धामी ने उठाया बड़ा कदम

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देवभूमि उत्तराखंड में आस्था और विश्वास की रक्षा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बड़ा कदम उठाया है। कांवड़ यात्रा से ठीक पहले राज्य सरकार ने “ऑपरेशन कालनेमि” शुरू कर दिया है जिसका असर भी अब दिखने लगा है एक रिपोर्ट जरिए आपको आपरेशन कालनेमि के बारे में बतातें है

देवभूमि उत्तराखंड जहां हर सांस में बसती है आस्था, जहां हर कदम पर रचता है सनातन। लेकिन इसी आस्था की धरती पर कुछ नकाबपोश ढोंगी, धर्म के वस्त्र पहनकर विश्वास को छलने में जुटे हैं। ऐसे समय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “ऑपरेशन कालनेमि” का बिगुल बजा दिया है..ये एक ऐसा अभियान है जो धर्म के नाम पर धोखा देने वालों को बेनकाब करेगा। मुख्यमंत्री ने साफ निर्देश दिए हैं कि – जो फर्जी साधु धार्मिक भेष में जनता को गुमराह कर रहे हैं, विशेष रूप से महिलाओं को निशाना बना रहे हैं, उनके खिलाफ बिना देरी के सख्त कार्रवाई हो।

बता दें कि रामायण के अनुसार कालनेमि एक राक्षस था। राम और लक्ष्मण की शक्ति का पता लगाने के लिए रावण ने उसे भेजा था। राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण घायल होकर अचेत हो गये थे। उस वक्त हनुमान जी उन्हें बचाने के लिए संजीवनी बूटी लाने हिमालय पर्वत की ओर जा रहे थे. इस दौरान रास्ते में कालनेमी असुर ने एक साधु का भेष धारण कर उनको भ्रमित करने की कोशिश की थी. वहीं त्रैतायुग के बाद अब कलयुग में भी कई नकाबपोश ढोंगी, धर्म के वस्त्र पहनकर लोगों के विश्वास को छलने में जुटे हैं। इसी को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने आपरेशन कालनेमि शुरू किया है। सरकार के इस फैसले का साधु संतो ने भी स्वागत किया है

आपको बता दें कि “ऑपरेशन कालनेमि” पर पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है। इसके तहत दून पुलिस ने विभिन्न थाना क्षेत्रों में पुलिस द्वारा साधु-संतो के भेष में घूम रहे अन्य राज्यो के 20 से अधिक ढोंगी बाबाओं सहित कुल 25 ढोंगी बाबाओ को गिरफ्तार किया है

कुल मिलाकर ऑपरेशन कालनेमि न केवल उत्तराखंड में आस्था के नाम पर चल रहे पाखंड पर प्रहार है, बल्कि यह संदेश भी है कि देवभूमि में अब धर्म का अपमान नहीं सहा जाएगा। इस निर्णय ने एक बार फिर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उस धार्मिक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया है जो आस्था की रक्षा के लिए न सिर्फ सजग है, बल्कि निर्णायक भी है। कांवड़ यात्रा से ठीक पहले लिया गया यह निर्णय श्रद्धालुओं में विश्वास और सरकार की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

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