ओटावा: कनाडा को खालिस्तानी अलगाववादी हरजीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में भारत से पंगा भारी पड़ता नजर आ रहा है। कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा 18 सितंबर को भारत पर हरदीप सिंह निज्जर की संलिप्तता के लगाए गए आरोपों के बाद खालिस्तानी समूह बहुत खुश थे कि अब उनका भारत विरोधी एजेंडा खूब फलेगा-फूलेगा लेकिन उनका ये सपना चकनाचूर होता दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि कनाडा में ट्रूडो सरकार से मिल रहे लगातार समर्थन के बाद भी उनका अभियान बुरी तरह से फेल हो रहा है। कनाडा में खालिस्तानियों का एक और जनमत संग्रह फ्लॉप हो गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक सर्रे में आयोजित इस ताजा जनमत संग्रह के लिए काफी लंबे वक्त से प्रचार अभियान चलाया जा रहा था, लेकिन इसमें काफी कम लोग जुटे। नई भागीदारी पर जोर देने के बावजूद मतदान के लिए सिर्फ 2000 लोग ही मतदान के लिए आए । स्थानीय सूत्रों के मुताबिक इस बार जनमत संग्रह में भाग लेने वाले लोगों का केवल वही समूह सामने आया जिसमें मुख्य रूप से छात्र शामिल थे, कोई नया समूह शामिल नहीं हुआ। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार दोनों देशों के आम लोग और सिख खालिस्तानी एजेंडे से कोई वास्ता नहीं रखते हैं। उनका मानना है कि अमन-शांति के दुश्मन अलगाववादी आंतकी समूह भारत विरोधी गतिविधविधों को हवा देना चाहते हैं लेकिन शांति के समर्थकों के कारण उनकी सभी चालें विफल साबित हो रही हैं
रविवार को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में सर्रे गुरुद्वारे में पुलिस तैनाती के बीच आयोजित लंबे समय से प्रतीक्षित भारत विरोधी जनमत संग्रह को आधिकारिक तौर पर विफल घोषित कर दिया गया है। इस जनमत संग्रह रैली के लिए काफी लंबे वक्त से प्रचार अभियान चलाया जा रहा था, लेकिन इसमें काफी कम लोग जुटे। इससे पहले 10 सितंबर को हुए पिछले जनमत संग्रह में 1.35 लाख वोटों का दावा किया गया था, लेकिन वास्तविक मतदान महज 2398 वोट था। सर्रे में निराशाजनक प्रतिक्रिया के बाद अगले साल एबॉट्सफ़ोर्ड, एडमॉन्टन, कैलगरी और मॉन्ट्रियल में जनमत संग्रह आयोजित करने की चर्चा हो रही है। इसी गुरुद्वारे के पास जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया था कि निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता की संभावना है। वहीं भारत सरकार ने निज्जर की मौत के आरोपों का दृढ़ता से खंडन किया था। भारत ने कनाडा से अपने उन दावों के लिए सबूत पेश करने के लिए भी कहा था, जिसके कारण राजनयिकों को जैसे का तैसा निष्कासन का भी सामना करना पड़ा था। भारत इस मामले में लंबे समय से कनाडा सरकार पर दबाव बना रहा है और उनसे अपने देश में स्थित व्यक्तियों और समूहों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने का आह्वान किया है। बता दें कि निज्जर की हत्या के आरोपों के बाद दोनों देशों के संबंध काफी खराब हो गए हैं और भारत ने 20 अक्टूबर को 40 कनाडाई डिप्लोमेट्स को देश से निकाल दिया है।